नारी
- hashtagkalakar
- Mar 9, 2023
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By Preethi Bansal
कोई बोले आखिर नारी का होता ही क्या है,
उसको तो ना बाहर जाना, ना कमाना है,
माता पिता की जिम्मेदारी भी मुझे ही निभाना है,
नारी का कुछ नहीं मुझे ही घर चलाना है!
आखिर कैसे कोई इतना ना समझा और नादान है,
कैसे वह एक नारी के त्याग से भी अनजान है,
जो दिन रात कर मेहनत सजाती उसका घर संसार है,
खुद की इच्छा और उम्मीदों को जैसे भूली सुबह शाम है!
फिर कैसे कोई अपना ही इस बात से भी अनजान है,
दोष है ये संस्कारो का या सोच ही शर्मसार है,
देख ऐसा पत्थर दिल आज इंसानियत भी लगती बेजान है,
नारी का हिस्सा होकर भी करता उस पर ही सवाल है!
By Preethi Bansal
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