उड़ान
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उड़ान

By Rashmi Abhay


रामकिशन जी बड़ी बेचैनी के साथ घर के बरामदे में चहलकदमी कर रहे थें। उनकी बेटी रिया जो कि 4 दिन के स्कूल ट्रिप पर गई थी उसे आज दोपहर तक वापस आना था मगर शाम ढल रही थी और रिया का कुछ अता पता ना था और ना ही उसका फ़ोन काम कर रहा था। मन में बार बार बुरे ख्याल आ रहे थे जिसे वो तेजी से झटक देते थे।

रिया रामकिशन जी और संध्या की इकलौती संतान थी।अति प्यार दुलार में पली रिया के अंदर कभी किसी बात का किसी तरह का कोई घमंड नही रहा। पापा की सुबह की चाय से लेकर रात की दवाई तक का उसे ख्याल रहता था।पढ़ाई लिखाई से वक़्त मिलने पर उसकी भरपूर कोशिश रहती थी कि वो मम्मी के कामों में भी मदद करे। आस पास के सभी लोग उसके स्वभाव को लेकर बहुत प्यार करते थे।

रिया का बस एक ही सपना था कि वो पायलट बने और जिस दिन उसकी पहली उड़ान हो उस दिन उस सफर में उसके साथ उसके मम्मी पापा भी रहें।

रामकिशन जी को अपनी बिटिया पर बहुत गर्व था, हर तरह से होनहार उनकी बिटिया में उनकी जान बसती थी...और आज गुज़रते वक़्त के साथ उनकी जान जैसे निकली जा रही हो। चिंता से तो संध्या भी मरी जा रही थी इसलिए उससे कुछ कहना या पूछना सही नही लग रहा था उन्हें।






पहले भी रिया स्कूल ट्रिप पर जाती रही है मगर इस बार ना जाने क्यूँ उनका हृदय नही मान रहा था। रिया नें उनके गले में हाथ डाल कर कहा 'पापा ऐसे कैसे मैं बन पाऊँगी पायलट अगर आप ऐसे घबड़ाओगे।मेरी उड़ान को अपना आशीर्वाद दीजिये पापा...रोकिये नही।' फिर वो रिया से कुछ नही बोल पाए थे..हाँ जाते जाते ढेर सारी नसीहतें दे डाले थे और ये भी कहा था कि अपना लाइव लोकेशन हमेशा ऑन रखना।

जब हृदय एकदम से विचलित हुआ तो वो रिया के स्कूल पहुंचे..स्कूल तो बंद था मगर चौकीदार मौजूद था, जिसने बताया कि बच्चे आ तो गए हैं मगर सभी शहर के सिटी हॉस्पिटल में एडमिट हैं। ये बात सुनते हीं आशंका से उनका हृदय दहल उठा...वो जैसे तैसे हॉस्पिटल पहुंचे...वास्तव में ट्रिप से लौटते वक्त स्कूल बस का गंभीर एक्सीडेंट हो गया था जिसमें तकरीबन सभी घायल थे...स्कूल प्रिंसिपल खबर मिलते हीं कई एम्बुलेंस लेकर घटना स्थल पर पहुंची थी और सबको यहाँ हॉस्पिटल में एडमिट किया था।पूरे हॉस्पिटल में अफरातफरी मची हुई थी। रामकिशन जी ने संध्या को कुछ भी बताना उचित नही समझा, वो बेड को ढूंढते हुए रिया तक पहुंचे थे, वो बेहोश थी और उसके टांगो पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था। बेटी की ऐसी हालत देखकर वो फफक कर रो पड़े। डॉक्टर ने बताया कि रिया के पैरों में मेजर फ्रैक्चर है, हमारी तरफ से पूरी कोशिश है मगर ये भी हो सकता है कि रिया को उम्र भर बैशाखी का सहारा लेना पड़े। ये सुनते हीं रामकिशन जी वही जमीन पर बैठ गए, किसी तरह संध्या को कॉल किया और सारी बातें बताई..सुनते ही संध्या के हाथ से मोबाइल छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।

किसी तरह वो सिटी हॉस्पिटल पहुंची और पति के सीने से लगकर फफक फफक कर रो पड़ी।

बहुत देर बाद रिया को होश आया, मम्मी पापा को सामने देख कर वो रो पड़ी...रोते रोते बोली 'पापा आप नहीं जाने दे रहे थे मगर मैनें हीं ज़िद्द किया।'

उसे अपने पैरों में भारीपन महसूस हुआ..उसने डॉक्टर की तरफ देखते हुए पूछा 'अंकल मेरे पैरों को क्या हुआ?' डॉक्टर ने सच्चाई छुपाते हुए बस यही कहा 'कुछ नही बेटा बस थोड़ा सा फ्रैक्चर है, जल्दी हीं ठीक हो जाएगा।'

कुछ दिनों बाद रिया हॉस्पिटल से घर आ गई, मगर अभी उसका प्लास्टर कटा नही था। मम्मी पापा सबकुछ भूलकर अपनी बच्ची की देखभाल कर रहे थे।

कुछ दिनों बाद जब प्लास्टर कटा तो उसका एक्सरे देखकर डॉक्टर ने धीरे से कहा कि शायद अब उम्र भर इसे बैशाखी की जरूरत पड़े।ये शब्द रिया के कानों तक भी पहुंचे..वो चीख मार कर रो पड़ी..उसके सारे सपने एक बार में टूट चुके थे।

संध्या की तो हिम्मत नही हुई कि वो कुछ कह सके मगर रामकिशन जी ने खुद को संभालते हुए रिया को बोला...'अरे ऐसे कैसे डॉक्टर के कहने से कुछ हो जाएगा..अभी तो हमें अपनी बिटिया की पहली उड़ान पर जाना है।'

रिया ने रोते हुए कहा 'पापा क्यूँ झूठ बोल रहें हैं, अब ये संभव नही हो सकता..प्लीज मुझे झूठा दिलासा मत दीजिये।' रामकिशन जी ने बिटिया को सीने से लगाते हुए कहा कि 'देख बेटा जब तक माँ बाप ज़िंदा हों औलाद के लिए कुछ भी असम्भव नही होता।'

वक़्त चलायमान होता है और इसी वक़्त के साथ रिया की ऑनलाइन क्लासेज, पैरों की फिजियोथेरेपी और मालिश चलती रही। वक़्त के साथ साथ पैरों में काफी सुधार नज़र आने लगा था। अब रिया खुद से उठकर अपना सारा काम कर लेती थी उसे मम्मी पापा की सहायता नही लेनी पड़ती।

धीरे धीरे कॉलेज भी खत्म हो गया और वो दिन भी आया जब रिया का सेलेक्शन पायलट के रूप में हो गया।

आज रिया की पायलट के रूप में पहली उड़ान थी और वो स्वयं प्लेन के दरवाजे पर रामकिशन जी और संध्या का स्वागत करने के लिए खड़ी थी।मम्मी पापा को आते देखकर वो दौड़ कर नीचे उतर आई अपने उन्हीं पैरो से जिसे डॉक्टर ने ये कहा था कि इन्हें उम्र भर बैशाखी का सहारा लेना पड़ेगा...सहारा तो जरूर लेना पड़ा मगर बैशाखी की नही बल्कि मम्मी पापा के हौसलों और विश्वास का।

रिया रामकिशन जी और संध्या के साथ ऊपर आई और उन्हें बिज़नेस क्लास में बैठा कर खुद अपने को-पायलट के साथ केबिन में चली गई...आज उसकी पहली उड़ान थी वो भी अंतरराष्ट्रीय... स्वीटजरलैंड के लिए।



By Rashmi Abhay




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