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Kuch

By Amit Sethia


कुछ हम भी थे मजबूर बहुत,

कुछ उनकी भी मजबूरियां थी!


कुछ झूट हमसे भी ना बोला गया,

कुछ सचाई हमारी भी कड़वी थी!


कुछ घाव अभी भरे भी ना थे,

कुछ जख्म पहले के ताजे हो गए!





कुछ पहले से ही तन्हा थे हम,

कुछ उनकी यादों ने बना दिया!


कुछ दर्द दिल से हुए थे,

कुछ दुनियां वालो ने दे दिया!


कुछ वक्त के साथ हमने भुला दिया,

कुछ उनके साथ ने वक्त को भुला दिया!


कुछ पहले से ही अकेले थे हम,

कुछ उनकी यादों ने बना दिया!




By Amit Sethia




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