By Deepak Kumar Agrawal
कहने को तो सब रंग काला होता हैं,
अगर उसमे से रोशनी निकल दी जाए।
और हर ज़िन्दगी के अंधेरा होता हैं,
अगर उसमे से माँ छीन ली जाए।
कुछ वक़्त को ज़िंदगी से निकल कर देखिए,
माँ की गुफा में वक़्त गुज़ार कर देखिए,
ये ज़िंदगी है २ वक़्त की बीत जाएगी,
उसके साथ रह कर नहीं तो २ क्षण मिल कर तो देखिए।
उसके जाने से पहले ना मिले तो क्या फ़ायदा,
और जब दुख ही मिले उसे,
तो उसके जीने का क्या फ़ायदा।
इंतज़ार मत करना उसको,
क्या पता कब शांत चिंगारी आग बन जाये,
और माँ तेरा इंतज़ार करते-करते,
रख बन जाये।
By Deepak Kumar Agrawal
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