By Preethi Bansal
मौत का साया सब पर छाया,
देख के ये अब इंसा घबराया,
कैसा ये वक्त ने खेल रचाया,
इंसान से इंसान को दूर भगाया,
प्रकृति ने भी जैसे हमें ठुकराया,
जैसे कर्मो का फल सामने आया,
प्रकृति न जब हमें पुकारा,
हमने भी तो उसे भुलाया,
स्वार्थ का उसे शिकार बनाया,
अपने कर्तव्यों को हमने भुलाया,
इसीलिए रब ने ये वक्त दिखाया,
वक्त रहते इंसा ये समझ न पाया,
प्रकृति में तहजीब से रह न पाया,
वक्त प्रकृति को इंसान के नसीब में लाया,
फिर भी हमने इसको हर वक्त सताया,
इसलिए रब ने हमको ये सबक सिखाया,
ईश्वर ने हमें नयी दिशा का रुख दिखाया,
इंसान को सही गलत का अहसास कराया,
जीने का सही सलीका दिखाया,
लगता जैसे सब ठीक होने को आया,
है ये सब तो ईश्वर की ही माया,
जिसने इंसा को अब इंसा बनाया,
वक्त ने प्रकृति का महत्व इससे समझाया,
अन्न का सम्मान करना भी अब इंसा को आया,
लोट के इंसा अब अपने घर को आया!
By Preethi Bansal