By Magan Chawla
एक बूढ़ा व्यक्ति यह सब कुछ आज की बदलती हुई पीढ़ी,आज का बदलता हुआ जमाना इन लोगो को देख कर बोल रहा है कि;
वक्त की करवट ने शायद बहुत कुछ बदल दिया
इस बदलते जमाने में शायद सब को बदल दिया
इक वो दौर था जब मिलकर सब
एक दूजे का साथ करते थे
यूं उठते बैठेते सब
एक दूजे से बात करते थे
हल्का होता था तब दिल का भार
जब कर लेते थे हम सांझे दिल के विचार
वो रूबरू होना एक दूजे के साथ
वो मिलकर हाल बताने दिल के
वो मिल बैठ कर खाना सब ने
शायद वो वक्त अच्छा था
जब मैं छोटा बच्चा था
न जाने क्या हो गया है अब इस जमाने को
सब लगे है बस शिद्दत से पैसा कमाने को
शायद भूल रहे है अपनी असली दौलत को
जो उमर भर उनके साथ रहती है
जी लो हर पल को अपनो के साथ
ये जिंदगी हमे पग पग पर यही कहती है
न जाने क्या हुआ है अब
न ही वो बातें है न ही वो रातें है
जब मिलकर सब इक साथ खाते थे
जो बीता दिन भर में उनके साथ
सब दिल का हाल बताते थे
शायद,
मस्त है सब अब अपनी ही बस दुनिया में
और बदल रहे है खुद को इस बदलती हुई दुनिया में
कोई खेल रहा है खेल मोबाइल पर ही
तो कोई कर रहा है काम लैपटॉप पर ही
बदल रहे है बच्चे और बदल रहे है मां बाप भी
शायद बदलना यूं परिवार का अच्छा नही
शायद बिखरना यूं परिवार का अच्छा नही
इक ही बात कहना चाहता हुं मैं
गर चाहते हो समेटना इस जिंदगी को
तो फिर से एक दूजे के साथ तुम वक्त बिताओ
जा चुका है जो वक्त वक्त के साथ
उस वक्त को तुम वापस लाओ
अभी वक्त है खुद को बदलने का
अभी वक्त है खुद को परखने का
बीत रहा है हर पल इस जिंदगी का यूं ही
कब तक इसे तुम बीताओगे
जी लो जितना हो सके इसे एक दूजे के साथ
क्या पता फिर ये जीवन तुम कब पाओगे
इसलिए लानी है गर खुशियां चेहरे पर फिर से,
फिर वो दौर वापिस लाना पड़ेगा
गर जीना है जिंदगी को अपनो के साथ
फलसफा जिंदगी का और बनाना पड़ेगा..
By Magan Chawla