By Preethi Bansal
अरे ये पेड़ तो मुरझा गया,
नहीं मीठा फल इसने दिया ,
दोषी पेड़ को ठहरा दिया,
पर क्या सच में दोषी पेड़ था?
ये सवाल मेरे मन ने मुझसे किया,
क्या इसमें नहीं थी उस माली की खता?
जो उसको सही से नहीं किया बड़ा,
ध्यान उसपर देता तो क्या होती उसकी ये दशा,
हालात भी तो थे हक़दार जो उसको उसने ऐसा गड़ा,
वरना ऐसे कैसे कोई पेड़ यूँही सुख कर जला,
माना कुछ पौधे उग जाते है हालातो से लड़ कर,
मगर क्या जरुरी है जो हर पौधा ऐसे हालातो में भी रहे खड़ा,
क्या माली की नहीं है इसमें कोई खता,
जो माली होकर नहीं करता अपनी जिम्मेदारियों को अदा,
क्यूँ आखिर सिर्फ एक पेड़ ही हो कटघरे में खड़ा?
By Preethi Bansal