By Aditya Ranjan
विचार लो शाखाओं का वियोग से ना डरो कभी। चाहे कितना पाल लो फल भी तो गिरे कभी।
ब्रज से निकले श्याम भी
तो फूल भी रोए थे।
आधे मार्ग पर ही तो
राधा भी खडी मिली।
एसी चीख गंजती समस्त सष्टिृ पूजती। "क्यों ना घडु-चक्र से काट दो वही सही"।
अगर कृष्ण पसीजते
तो क्या पंडित बखानते?
ऐसे मे भी हंस पड़॓
तभी तो वह महान थे।
तब से कृष्ण राधे से, आज भी तो ना मिले। तब भी राधा का नाम कृष्ण से ही जुड़े।
प्रेम वही महान है
जो तब भी बलवान है,
दूरी हो कोसो की
जो दिल फ़िर भी समान है।
विचार लो शाखाओं का वियोग से ना डरो कभी। चाहे कितना पाल लो फल भी तो गिरे कभी।
By Aditya Ranjan