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# Possesiveness
Updated: Sep 21, 2022
By Shivvir Singh Bhadauria
ये बंटा बंटा सा अपनापन एक हिस्सा मेरे पास भी है जो मिला सहेजा है दिल में है थोड़ा लेकिन खास ही है
जो भी हैं तेरे जीवन में सब पहले ,हम तो बाद मिले वो संग दिखे , वो साथ खिले हम छूटे, बाकी साथ चले
पर मुझे किनारे करते हो औरों को जब तुम साथ लिए नश्तर जैसे चुभते वो पल अंगारों सा वो ताप लिए
निश्चय ही छोटा दिल मेरा लालच मेरा और गलत बात अहसास मुझे, गलती मेरी रह गया, लगे यूं खाली हाथ
सब स्वार्थ मेरे , कमियां मेरी हां, खुद पे लज्जित होता हूँ ये दोष मेरा , गलती मेरी और आंख छिपा के रोता हूँ
तेरा आना इस जीवन में किन शब्दों में आभार कहूं सब खुशियों से ये बढ़कर है इसको मैं क्या अहसास कहूँ
अब कहाँ छिपाऊँ तुमको मैं जो देख न पाए और कोई और कहाँ सहेजूँ तुमको मैं जो बांट न पाए और कोई
तुम फूल ,जो महको बगिया में पर सूंघ न पाए और कोई पूनम का पूरा चाँद रहो पर ताक न पाए और कोई
तुम आहट कितनी खुशियों की पर भांप न पाए और कोई तुम जीवन पथ की हो मंजिल पर जीत न पाए और कोई
तुम देना सबका साथ प्रिये वो बात क़भी मत देना तुम जो दिया मुझे अपनापन है वो प्यार कहीं मत देना तुम
हो आदि अंत इस प्रेम का तुम तुम हाथ मेरा थामे रहना साथ रहा हूँ , साथ रहूंगा बस यही सदा मुझको कहना .
By Shivvir Singh Bhadauria