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Khwab
By Sunil Kumar Shukla
टूटकर ख़्वाब सारे बिखरने लगे,
ज़ख्म सूखे सभी फिर निखरने लगे !
डोलने सी लगी हौसलों की ज़मीं,
ज़िन्दगी तुझको जीने से डरने लगे !!
क्यूँ भरोसा तेरा बेवफ़ा मैं करूँ ?
दर्द क्यों ना तेरे सब दफ़ा मैं करूँ ?
मौत ज़ब मिल रही हर क़दम पर मुझे,
बावफ़ा मौत से क्यूँ जफ़ा मैं करूँ ?
सुर बग़ावत के तुझसे उभरने लगे !!
ज़िन्दगी तुझको जीने से ...........!!
नाज़ नखरे तेरे सब उठाते रहे,
तेरे क़दमों में सर भी झुकाते रहे !
सह रहे थे सितम सारे हँसकर तेरे,
दर्द में भी सदा मुस्कुराते रहे !
बे'सबब ज़ुल्म पर अब अखरने लगे!!
ज़िन्दगी तुझको जीने से ...........!!
ख़ुश रहे तूँ जहाँ भी रहे ज़िन्दगी !
गैर से भी न करना तूँ ये दिल्लगी,
चूम ले हाथ बढ़कर जिसे तूँ मिले,
ज़िन्दगी भर तेरी वो करे बन्दगी !
दर्द पहलू में तेरे बिसरने लगे !!
ज़िन्दगी तुझको जीने से ...........!!
टूटकर ख़्वाब सारे बिखरने लगे,
ज़ख्म सूखे सभी फिर निखरने लगे !!
ज़िन्दगी तुझको जीने से ...........!!
©सुनील
By Sunil Kumar Shukla