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Kaash

By Priyanka Goliya


था कहना बहुत कुछ उनसे ,

काश की सुन लिया होता।

बच जाते हम भी और वो भी,

मन की मन से इन हज़ार लड़ाइयों से।




मन ये हमारा जो हर बात की गवाही देता है हर रोज़ चीख चीख के,

काश की उनके मन के कटघरे में एक चीख पहुंच जाती।

जान जाते कितना दर्द ,कितनी नफरत भर दी मन में हमारे,

सिर्फ उनके न सुनने और चीजों से भाग जाने की आदत ने।

काश कि मांग लेते माफी वो भी हमसे,

हर दिन की ये मन से मन की लड़ाइयां तो खतम हो जाती।


By Priyanka Goliya





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