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Ek Mulakat

By Vivek Upadhyay


एक शहर में बहोत ही खुशमिजाज़ चुलबुली लड़की रहती थी । एक लड़का जो उसे किसी माध्यम से जानता था एक बार उसके शहर गया । उस लड़की ने उस एक दिन में उस लड़के का कमाल का अतिथि सत्कार किया । लड़के को जो एहसास हुआ उस लड़की से मिलके वो एक कविता के माध्यम से उस लड़के ने व्यक्त किया ।

नीचे लिखी हुई कविता इस एक मुलाकात के एहसास का विवरण है जिसे दिल की गहराईयों और भावों से

संजोया गया है ।


एक मुलाकात


ज़िन्दगी के शोर में है जो न किसी के ज़ोर में ,

कहीं दूर एक खामोश खूबसूरत मोड़ में ,

मिली ज़िन्दगी मुझसे तुम्हारे रूप में तुम्हारे शहर की ओर में ।


देखा तुम्हे तो सोचा ज़िन्दगी कितनी हसीं है ,

हर तरफ सिर्फ शोर है,

उसमे बन के मृदुल ख़ामोशी ,

संभाले तू ज़िन्दगी की डोर है ।

खुशियां लुटाती रिश्ते निभाती हर पल मुस्कुराती,

सबको सिखाती सबको हंसाती,

तू जैसे कोई चमत्कार हर ओर है ।





जिसको भी तुम छू लो , तुम्हारे असर से निखार जाता है,

जैसे एक रंगीन तितली के आने से मनमोहक फूलों का बागीचा खुशबुओं सा निखार जाता है,

तुम्हारी मुस्कराहट से मुझे अपनी खुशियों का पता मिल जाता है ।

नीले अम्बर की रौनक , रात की रानी की सुगंध , गुलाब की टहनी और तुम्हारे हर रंग,

ऐसे हैं तुम्हारी स्मृति के मेरे दिल में लिखे कुछ छंद,

तुम्हे देख मेरी पलकें होती हैं ख्वाइशों से बंद ।

वैसे तो ज़िन्दगी में कई सवेरे हुए रात आयीं दिन ढले,

पर उस दिन की बात ही अलग थी जिस दिन हर पेहेर तुम मिले,

चंचल हवाएं बिखेरती संवारती रहीं उस दिन तुम्हारी काली ज़ुल्फ़ों के साये को ,

मैंने सोचा पूछूं सवाल की इतनी खूबसूरती तुम क्या परियों के देश से लाये हो ?

सुबह की ताज़गी, दोपहर की सादगी, शाम का ठहराव, रात की चकाचौंद चांदनी,

हर लम्हा बन गया प्रख्यात मानो जैसे काली घनेरी रात के फलक में,

चाँद संग निकल पड़ी हो टिमटिमाते तारों की बरात,

हर एक उस पल में मांगी मैंने एक ही अरदास ,

की हो कोई करिश्मा , थम जाए वो पल

और तुम रहो हर उस पल में मेरे पास ।



By Vivek Upadhyay




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