Dhool
- hashtagkalakar
- Mar 23, 2023
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By Sanchita
कभीकिवाड़ोंकीकुंडीमें,
तोकभीबाबाकीआरामकुर्सीपर,
तेरीमांकीसलाइयोंपर,
तोकभीदोस्तोंकीतस्वीरोंपर,
उनचुपकेसेदिएतोहफोंमें,
मैंबैठतुझेनिहारतीरही!
तूअनदेखाकरतारहा।
तेरेऑफिसकीफाइलोंपर,
कंप्यूटरकेस्क्रीनपर,
कभीमेजकीदराज़में,
तेरेपीछेभागतेहुए-
गाड़ीकेशीशोंपर,
मैंठहरतीरही!
तूहटातारहा।
मैंतोवहीधूलहूं,
तुच्छसी, निरासी,
कभीभीगतीरही, कभीसुखतीरही,
तूनेकभीपैरोंसेउठा,
माथेपरलगायाहै
औरकभीहोठोंसेफूक,
हाथोंसेझाड़ाहै
मैंहमेशावहीथी!
तेरानजरियाबदलतारहा
तूबदलतेपरिवेशकेसाथ,
अपनीपहचानबदलतारहा
परमैंवहीधूलहूं।
हूंअकिंचन!
किंतुसर्वत्रहैवर्चस्वमेरा।
By Sanchita
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