By Harshvardhan Tyagi
मै उसके काबिल नहीं, वो ये मुझको बोल गया,
कितनी छोटी सी तराजू में मुझे तौल गया.
बात आसमान की करता था वो शख्स बहुत,
एक पिंजरे के अंदर मेरे पंख खोल गया.
इस तरह रंग चढ़ाया है उसने, मुझपर अपना,
मैं खुद पानी हूँ, और मुझे पानी में ही घोल गया.
खुशमिजाज़ी, खुशगवार, यारबाज थे जब,
अब वो सब शामें गयीं, अब वो माहौल गया.
By Harshvardhan Tyagi
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