By Bhaskar Sharma
सपना कितना सीधा सरल है
सपना कितना सादा,
सपनों के ही रंग बदल जाए
करे कोई क्या प्यादा।
सपने वैसे होते ही बेरंग हैं
पर रंगों में रंगा-रंगाया आता,
चढ़ता जाता आसमान में
नींद का देखो साया।
हैं ब्लैक एंड वाइट से इसके ब्रश
गढ़ते जाते गूढ़ रहस्य,
नींद खुली तो जाना है
सोता रहा था मैं जागा।
By Bhaskar Sharma