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दर

By Saumya Garg


ढूँढ लाना हमें

उस डगर से

हर दफ़ा

जिस पर तुम्हारा

दर न हो

पर हम भटक कर

चले गए हों।


हम हर दफ़ा

लौटना चाहेंगे

तेरे ही दर पर।



घर है वो,

रास्ता भटक गए तो क्या!

घर नहीं बदलता,

तुम हाथ थामकर

ले आना हमको वापस

सही डगर पर

सही दर पर

सही सलामत...


By Saumya Garg



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