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खूब
By Aashish Shrivastava
उसके आने की खबर सुनी है जब से
घर को खूब सजा रखा है हमने तब से
सालों हुए कि खुशियां हमारे घर न आई
दुःख है कि डेरा डाले बैठे है जाने कब से
गलतियां की चलों कोई बात नहीं है दोस्त
गलतियों को दोहराना मत ये प्रण लो अब से
अरे वो शख्स कहां है बुलाओ उसको यारों
न जाने कितने दिन हुएं ग़ज़ल सुनें उसके लब से
By Aashish Shrivastava