By Nidhi Jain
जिम्मेदारियों के बोझ तले, हिम्मत हारे बैठो ना
जीवन मे जो बीत रहा, दोष दूसरों का मानो ना
समय नहीं, कैसे करूँ सोचकर, भविष्य भाग्य पर छोडो ना
सहारे की उम्मीद में अपने हुनर को कभी भुलाओ ना
निर्भर रहकर बहुत जीये, अब आत्मनिर्भर बन जाओ ना
किसी की चापलूसी से भाग्य संवरेगा, ऐसा कभी सोचो ना
अडिग रहो सिध्दांतों पे, उनका सौदा करो ना
डटकर मुकाबला करो संघर्षों का, मन साहस से भरदोना
तुम कदम रखो आगे, रास्ते अपने आप दिखेंगें
मन में उल्लास भरो, ईश्वर आपके पास मिलेंगे
बीत गया दिन तो क्या, बाकी पूरी रात है
गिरते संभलते मंजिल पा ही लेंगें, मन में पूरा विश्वास है।।
By Nidhi Jain