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खयाल
By Arvind Chhipa
ना जानें क्या हो गया है मुझको ये आजकल
खयालों में खोया सा रहता हूं मैं!
कोई बात है जो सताती है मुझे शामो सवेर
बस इन्हीं ख्वाबों के दर्मियां जीता हूं मैं!
चीजों को रख इर्द गिर्द भूल जाना तो हो गई है आम बात
आवाज जब दे कोई मुझे तो थम सा जाता हूं मैं!
यूं तो अंदर ही अंदर बहुत चिल्लाता हूं मगर
दिलमेंहैबातेंकईबसकहनापाताहूंमैं!
By Arvind Chhipa