By Arati Patil
चढ़ने हैं उँचे परबत तो,
गुज़रना होगा खाइयों से भी..
मुकद्दर से लढने चला है तू ,
हारेगा कयी लढाईयाँ भी..
छोटी जीतों से संतुष्ट ना रह तू ,
ना ही छोटी हारों का कर ग़म..
मंज़िल की ओर राह मिलते जाएगी,
बस रोकना न कभी अपने कदम.
By Arati Patil