By Vutukuri Reethika
अग्नि भी जाला नहीं सके ऐसा पावन चरित्र था मेरा लेकिन समाज ने मुझे सीता बनाकर बार-बार मुझे अग्निपरीक्षा देने केलिये विवश कर रहे हैं?
मैं तुम्हारी लिए सारी पीड़ा को सहन लेती हूं। ए मत सोचना की मैं एक निर्बल हूं, अपितु मैं तो तुम्हें अपने अंदर छिपी हुई, धरती की सहनशीलता का परिचय कर रही हूँ। याद रखो कभी भी भूकंप आ कर तुम्हारी विनाश कर सकते
आकाश जितना गहरी राज़ चुपा है मेरे मन में, कहते हो कभी भी तुम मेरी मन को पड नहीं सकते, किंतु ये नहीं समझते हो तुम ने कभी प्रयास ही नहीं किया समझ ने का।
मैं निर्मल रहना चाहती हूँ वायु की भाँती, किंतु खुद समाज ने मुझे मैला कर मुझे कोसते हैं कि, मैं प्रदूषित बनगयी और मुझे अकेले रहने केलिए विवश कर रहा हैं।
मैं शांत हूं बहती नदी की तरह, यदि तुम मुझे अपना वश में रख कर मेरी दमन करने कि कोशिश करेगा तो मैं बाढ़ बनकर तेरा ही विनाश कर दूँगी।
तुम खुद दुर्योधन बनकर मुझे द्रोपदी बनादिया और मेरी विवशता पर हंस रहे ओ, क्या तुम भूल गए तेरे घर में भी एक द्रोपदी है जिसे कृष्ण बनकर रक्षा करने का वादा किया था।
तुम बनगया रावण और मुझे सीता बनाकर पाना चाहते हो क्या तुम भूल गयी तेरे घर पर भी एक सीता है जिसे पाने केलिए एक और रावण प्रतीक्षा कर रहे हैं
कहते हो मैं तेरी ऑगन की लक्ष्मी हूं, वक्त कि करवट कब इतना बदली पता ही नहीं चला की, मुझे अलक्ष्मी कहकर घर से निकाल रहे हो
मुझे अबला समझ कर रुलाना चाहते हो, जानते नहीं मैं भी महिषासुरमर्दिनी का ही एक रूप हूँ जो तेरी प्राण ले सकती हूँ
By Vutukuri Reethika
Emotional
Wahhh
Super
Emotional and sentimental
Wow