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डूबता सूरज (भाग २)

By Swati Sharma 'Bhumika'


आज दूसरे दिन भी भूमिका और उसके पिताजी दादाजी के साथ

खेत पर पहुंचे | दिनभर की थकान के पश्चात् तीनों डूबते हुए सूरज को

देखने पहुंचे | अब वे लोग ऐसे स्थान पर उपस्थित थे; जहाँ से डूबते हुए

सूरज के दर्शन भली-भांति हो रहे थे |


दादाजी ने दोनों हाथ जोड़कर सूर्यदेव को प्रणाम किया, तो नन्ही

भूमिका ने उनसे पूछा- “दादाजी कल आपने हमें डूबते हुए सूरज के बारे

में जो कुछ भी बताया था, वह बहुत ही प्रेरणादायक था | परन्तु, एक

बात समझ नहीं आई | मम्मी-पापा हमेशा कहते हैं कि उगते हुए सूरज

को सदैव प्रणाम करना चाहिए, वह शुभता का प्रतीक होता है | इसके

पीछे क्या कारण है ?”


दादाजी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया- “यह सत्य है बेटा, कि उगता

हुआ सूरज शुभता एवं सफलता का प्रतीक होता है | इसीलिए लोग उसे

प्रणाम करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें आशीर्वाद दें; आशीर्वाद

सफलता का, उन्नति का, प्रगति का एवं निरंतर आगे बढ़ने का | परन्तु,

हमें उगते सूरज से यह अवश्य सीखना चाहिए कि जिस प्रकार वह

रोशनी एवं चमक को पूरे संसार में बिखेरता है अर्थात् हमें सफल होने

पर, आगे बढ़ते हुए, पूरी लगन, निष्ठा एवं ईमानदारी से अपना कर्म

करते हुए दूसरों का कल्याण भी करते रहना चाहिए | क्योंकि समय

एक-सा नहीं रहता | परन्तु, आज सफलता के शिखर पर रहकर हम जो

भी आशीर्वाद कमाएँगें; वे हमें हमारे कठिन समय में काम आएँगें | जैसे

कि डूबता हुआ सूरज असफलता का प्रतीक माने जाने के बावज़ूद भी

उगते सूरज से भी अधिक सुंदर दिखता है | जानती हो ऐसा क्यों होता

है ?”



भूमिका ने उत्तर दिया- “ हाँ दादाजी मुझे पता है | आपने कल ही

बताया था कि सूरज अपना कर्म भली-भांति करके संतुष्ट होता है |”

दादाजी ने कहा- “शाबाश मेरी बच्ची तुम तो बहुत समझदार हो | इसी

प्रकार सूरज की भांति सफलता के समय अच्छे कर्म करते रहने से हम

कठिन समय में भी मुस्कुराते हुए सुंदर दिख सकते हैं | वे सभी आशीर्वाद

कठिन समय में एवं असफलता के समय हमारे भीतर की सुन्दरता को

सबके समक्ष अवश्य लेकर आते हैं | इसीलिए हमें बिना भविष्य की

चिंता किए सूर्यदेव की भांति अपना कर्म करते रहना चाहिए | ऐसा कर्म

जिससे स्वयं के साथ-साथ दूसरों का भी भला हो |”


इस प्रकार वार्तालाप करते हुए तीनों घर पहुंच गए एवं हाथ-मुँह

धोकर रात के भोजन हेतु दादी और माँ के समक्ष प्रस्तुत हो गए |


By Swati Sharma 'Bhumika'




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