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Yeh Meri Dastaan

By Sagar Awasthi


तैश करता नहीं और सबर रखता है ।

मगर दुश्मनों की खबर रखता है ।।


हालातों को अपने दरकिनार कर ।

ज़हन में बादशाहत की नज़र रखता है ।।


यक़ीनन हौंसले बुलंद हैं उसके ।

खूब अंदाज़ अपना कहर रखता है ।।


पूछोगे गर राज़-ए-हुनर उससे तुम ।

बोलेगा मेहनत हर पहर रखता है ।।





कहो मग़रुर या ख़ुद-ए'तिमादी उसे ।

शेर पढ़ने का भरपूर हुनर रखता है ।।


जाँफ़िज़ा से मुक़म्मल है ग़ज़ल उसकी ।

पेश करता तो मानो ज़हर रखता है ।।


सहूलियत से पढ़ना हर्फ़ दर हर्फ़ तुम ।

मुकर्रर रदीफ़ और बहर रखता है ।।


अकेला चला था सफ़र में तू सागर ।

पर अब क़ाफ़िले में शहर रखता है ।।



By Sagar Awasthi




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