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Office की खिड़की से बाहर का नज़ारा…

By Poonam


आते-जाते लोग और उनकी बातों का शोर… 

बिजली के खंभों पर दूर तक बंधे लंबे तार 

और उन तारों पर बैठे पंछियों की कतार। 

गाँव के पुराने घरों की छतें और टूटी छान, 

सामने एक छत पर वो लाल झंडा 

लहराकर हवा की दिशा बताता हुआ। 

कुछ ऐसा है office की खिड़की से बाहर का नज़ारा…



दिखते हैं पेड़ कई – नीम, कीकर, बकाण, 

रास्ते के बीच से निकलती वो कच्ची नाली 

जिसमें भरा रहता है कीचड़ और पानी। 

ठीक सामने पड़ा हुआ है पेड़ का कटा तना, 

आस-पास उसके हरी घास पर बिखरी हैं ईंधन के लिए छड़ियाँ।

कुछ ऐसा है office की खिड़की से बाहर का नज़ारा…


रास्ते से गुज़रते दो छोटे-छोटे बच्चे,

उन नालियों को hurdles की तरह पार करते हुए…

और फ़िर मुझे दिखा… हौले से चलता हुआ एक मोर 

पास से गुज़रती बाइक की आवाज़ सुनकर 

झट से उड़कर जा बैठा स्कूल की छत पर।  

कुछ ऐसा है मेरे office की खिड़की से बाहर का नज़ारा…


By Poonam




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27 Kommentare

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Rohit Payal
Rohit Payal
01. Feb.
Mit 5 von 5 Sternen bewertet.

Nice poem

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Knowledge and Motivational
Knowledge and Motivational
01. Feb.
Mit 5 von 5 Sternen bewertet.

Very nice

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Pankaj Kumar
Pankaj Kumar
01. Feb.
Mit 5 von 5 Sternen bewertet.

Nice

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Unknown member
31. Jan.
Mit 5 von 5 Sternen bewertet.

Nice poem

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Surgyan Kumawat
Surgyan Kumawat
31. Jan.
Mit 5 von 5 Sternen bewertet.

Bhot bhadiya

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