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Corona और लम्बी जुदाई
By Achal Jain
तुकबंदी और शब्दों से सजी यह कोइ शायरी नहीं है,
लिख रहा हूँ दिल की बात पर ये डायरी नहीं है,
फिर सोच रहे होंगे आप की, क्यों मैंने अपनी ये कलम
उठाई है,
जो महसूस किया मैने बीते महीनों में बस वही बात यहाँ
बतायी है।
मौजूदा हालातो का यह एक अजीब किस्सा है,
यह हम सबने जाना कि, कौन किसकी जिंदगी का
हिस्सा है।
अपने चाहने वालों से अब मिलों की दूरी है,
Mobile पर होती है मुलाकात, फिर भी जिंदगी
अधूरी है।
छप्पन भोग से सजी है, फि भी बेरस है थाली,
जो खिलखिलाते कभी, आज वो नुक्कड़ है खाली।
चाय तो रोज़ पीते हैं, पर इसमे अब वो बात नहीं है,
क्या करें जनाब, आधी रात में संग चाय पीने वाले
साथी अब साथ नहीं है।
हां whatsApp पर खोलते हैं, मज़ाको की पोती,
पर अब वो ज़ालिम किसी की टांग खिचायी नहीं होती।
खैर मैंने तो जो महसूस किया वो लिखा है,
मुस्कराईएगा ज़रुर , अगर आपको भी यह सब
दिखा है।
उम्मीद तो है, की यह जुदाई के बादल जल्द छटेंगे,
और फिर से किस्से यारो के थड़ीयों पर बटेंगें ।।।
By Achal Jain