- hashtagkalakar
Mela
By K. Swati Rao
वो कहती है, मेला जाऊंगी
जगमग नज़ारे, झूले देखने जाऊंगी
घूमूंगी, देखूंगी, खाऊंगी
और झूमूंगी
बड़े साल बाद लगा है
वो कहती है, मेला जाऊंग
ये सुन वो गुस्से से बोले
दशहरे के दिन भीड़ बहुत है
न जा, खो जाएगी
भीड़ है फिर भी मेरा मन है
इतना ही है तो जल्दी होकर आऊँगी
वो कहती है, मेला जाऊंगी
ये सुन वो गुस्से से बोले
दशहरे के दिन भीड़ बहुत है
लोग बहुत हैं, धूम मची हुई है
इतना कहकर लगे डांटने, ना जाना खो जाएगी
कुछ निराश, थोड़ी हताश
हो, वह बोली, ठीक है मगर...
कल तो आप भी मेला लगाओगे
भीड़ बहुत होगी तब भी
लोग बहुत होंगे
फिर भी मुझको आप बिहाओगे
उस मेले में तो मैं पराया धन हो जाऊंगी
पराया धन कह मुझको छोड़ आओगे
वो कहती है, मेला जाऊंगी
वो कहती है, मेला जाऊंगी
By K. Swati Rao