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Maa
By Khushbu Sharma
माँ,
कहा जाता है, भगवान के बाद
इस जमीं पे है वो माँ।।
भगवान नहीं जा सकता हर जगह,
तभी तो बनायीं उसने वो माँ।।
रखती है नौ महीने,
संतान को अपनी कोख में
त्याग कर अपनी सुदंरता को वो माँ।।
जाकर गोद में मौत की,
देती हैं एक जिंदगी को जन्म
वो माँ।।
त्याग कर ख्वाबो को अपने,
अपनाती है, एक नन्ही सी जान को माँ,
तभी तो बलिदान की मुरत कहलायी जाती है वो माँ।।
जो देखती है अपने ही ख्वाब अपनी संतान में सदा,
और बिता देतीं हैं जीवन उसी में अपना,
कैसे कह सकता है कोई, के कमजोर होती है वो माँ❤।
जो नहीं जानते अपनी माँ की कद्र करना,
जरा पुछना उनसे जाकर,
कैसे बिताते है अपना जीवन,
जिनके नहीं होती है माँ।।
जिसके, कदमों झुकता है ये शिश सदा,
बस उसका जीवन रहे युही सलामत सदा।।
बस चाहुंगी इतना कहना, जिसके बिना नहीं कर सकती
मैं अपने जीवन की भी कल्पना, लग जाए उसे उम्र मेरी
बस यही तरीका है उसके एहसास चुकाने का।।
नहीं कर सकता कोई उसकी बराबरी,
क्यूँ कि, प्यार करती है वो मुझसे बिना
किसी मतलब का,
बाकि दुनिया का प्यार होता है मतलब का,
तभी तो कहती हु, कोई नहीं है माँ तेरी तरह।।
चाहिए हमें तेरी ही गोद, सर रखकर सोने को माँ,
क्यूँ कि चाहे धिक्कार देगी ये दुनिया,
अपनायेगी तो सिर्फ वो माँ।
सिर्फवोमाँ।।
By Khushbu Sharma