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मै
By Abhishek Kumar
जो आँखो से उतर जाए, वो दिल मे आ नही सकता ।
जो घर दिल मे बना जाए, जहन से जा नही सकता ।
समझने को जमाने भर के इल्म-औ-दास्ताने हैं,
मै दिल की राह चलता हूँ समझ मे आ नही सकता ।।
मै तय पैमानो पर तुलता हुआ सामान थोडी हूँ ।
दो लहरें खत्म कर दे रेत पर निशान थोडी हूँ ।
तसव्वुर हूँ, सभी के खिर्द मे रहकर पनपता हूँ,
महज एक जिस्म थोडी हूँ, सिर्फ एक जान थोडी हूँ ।
मौत आ सकती है मुझको, मिटाया जा नही सकता ।।
मै दिल की राह चलता हूँ समझ मे आ नही सकता ।।
मै बेइमान की जुबान का बयान थोडी हूँ ।
जहन पर चढकर उतरूँ, गुस्से का ऊफान थोडी हूँ ।
जुनूं हूँ इश्क का, सर पर चढूँ मरकर भी न उतरूँ,
जो बदले से उतर जाए, कोई एहसान थोडी हूँ ।
मुझे नुक्सो- उसूलो मे बताया जा नही सकता ।।
मै दिल की राह चलता हूँ समझ मे आ नही सकता ।।
By Abhishek Kumar