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मन…!

By Tejash Burad


कहा है की…

कुछ तो सुना पन है आज भी…

कुछ अधूरा सा मन है आज भी…

कुछ हैं हम आज भी सुलझे हुए…

कुछ बाक़ी हैं कहीं तो उलझे हुए…

कुछ बाक़ी है आज भी सच्चाई हम में

कुछ ज़माने से सीखी है रुसवाई हम ने…

कुछ तन्हाई में भी रातें बसर हुई है…

कुछ बातें तुम्हारी दिल पर असर हुई है…

कुछ बचा है ज़िंदगी में अंधकार आज भी…

कुछ सजा रखा है ख़ुद में अहंकार आज भी…



कुछ बाक़ी था तुम पर अधिकार आज भी…

कुछ तुम कर गए रिश्तों को बेकार आज ही…

कुछ बचे थे मन में तुम्हारी बातों के क्रोध…

कुछ मन के तो कुछ तुम्हारी सोच के थे विरोध…

कुछ तुमने अनसुने कर दिए थे मेरे सवाल…

कुछ तुम्हारी हरकतों से मचा था बवाल…

कुछ झूट तो तुम्हारे हर सच में शामिल थे…

कुछ तुम मेरे अलावा किसी और को हासिल थे…

कुछ तेरी साज़िशे आज भी दिल में चुभती है…

कुछ तेरी ना-मुराद ख्वाहिशें आज भी नहीं रूखती है…


By Tejash Burad




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