By Akash Tiwari
माना की खुशनुमा जिन्दगी की आस में
खड़ा हूँ ख़ामोशी के साथ मैं
ना दिख रही मंजिल अब कही
कोशिशो में कसर मेरे ही रही
भागता हूँ खुद से ही मै दूर अब
ना चाहते हुए भी छुपाता हूँ सब
टूट रहा हूँ मै खुद में ही
सब खत्म क्यूँ न हो जाता सोचता हूँ यही
अन्धकार में सोच के डूबा हुआ हूँ
चमत्कार की उम्मीद में बैठा हुआ हूँ
By Akash Tiwari
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