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ख़ता
By Manish Upreti
नम सा दिल, गम वजह
मेरी क्या ख़ता तू बता
हिन्द हूँ, हिंदी नज़र
मेरी क्या ख़ता, तू बता
आवारगी है घर मेरा
मेरी क्या ख़ता तू बता
दिल में तू, दिल की सज़ा
मेरी क्या ख़ता तू बता
तन्हाईयां भी घाव हैं
यादें हैं तेरी वबा
याद तेरे इश्क़ की
चल रहा पत्थर चबा
सारे ज़ख्म तुझसे हैं
तू ही है मरहम-दवा
तीसरे को देख तूने
दूसरा किया दफा
नज़रों से मेरी न बची तू
मेरी क्या ख़ता तू बता
By Manish Upreti