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समय
By Ankit Gupta
सबसे बडा मैं कहलाता
वापिस लौट कर भी नही आता
सब बोलते भी है, मुझे बलवान ।
मगर मैं तो यूँही बदनाम
पिंजरे में कैद जैसे एक गुलाम ।
अपने ही चक्कर में उलझा रहता
दिन रात बस घूमता ही रहता
एक से दो, दो से तीन, यूँही बारह तक में जाता
फिर वापिस इसी को दोहराता
अपने ही अपने में खोया रहता
कोई ओर काम ना कर पाता
यूँही मेरा दिन निकल जाता ।
फिर मैं क्यों बदनाम कहलाता?
By Ankit Gupta