By Mansi Gupta
जिंदगी के सफर में
जब एक हमसफर मिला
तब जाना यह जिंदगी
कितनी खूबसूरत है
यूं तो मुलाकाते कई हुई थी उससे
पर इस सफर मे पहली मुलाकात कुछ यूं हुई
कि बाहर से मुस्कुराती हुई मैं
अंदर से डरी सहमी सी थी
कदम भी लड़खड़ा रहे थे मेरे
तब उस शख्स ने मेरा हाथ थामा और
मुस्कुराते हुए कहा था मैं हूं साथ तेरे
उस पहली मुलाकात की यादें वो बातें और
उसकी मीठी सी मुस्कुराहट
आज भी याद है मुझे
अपने पहले प्यार का इजहार
उसने कुछ यू किया था
की आंखें झुकी हुई थी उसकी
आवाज बिल्कुल धीमी थी
मन में शर्म थी शायद उसके
चेहरे पर डर सा था
मेरी तरफ देख कर घबरा रहा था वो
मुझसे आंखें नहीं मिला पा रहा था वो
बहुत समय लिया था उसने
अपने दिल की बात बोलने में
पर वो नासमझ क्या समझे
उसकी मोहब्बत का इजहार
उसकी मासूमियत ने
उससे पहले ही कर दिया था
वो दिन आज भी याद है मुझे
जब मेरी तबीयत खराब हो जाने पर
उसको दर्द होना
मेरे लिए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे उसका मन्नत मांगना
मेरे ठीक हो जाने पर
उसका सूरज की तरह चमकना
आज भी याद है मुझे
उसका सारा सारा दिन मेरी बकबक सुनना
फिर भी उसका मंद ना होना
मेरे चुप होते ही
उसका मेरी तरफ देखना और
आंखों ही आंखों में मुस्कुराना
आज भी याद है मुझे
उसके साथ हंसना मुस्कुराना
उसका मुझे चिढ़ाना
मेरा रूठ जाना और
फिर उसका मुझे प्यार से मनाना
उसका मुझे डांटना और
मेरा बिल्कुल चुप हो जाना
उसके साथ लड़ना और
उसे खो देने के डर से रो देना
आज भी याद है मुझे
उसका मेरे लिए सारी रात जागना
छुप छुप कर मुझसे घंटो बात करना
मुझे सुला कर उसका खुद सोना
फिर सुबह जल्दी उठना और
मुझसे मिलने आ जाना
आज भी याद है मुझे
मेरे साथ उसका बच्चा बन जाना
मुझे खूब हंसाना
अपने दुखों को ना देख कर
मेरी खुशियों में शामिल हो जाना
मेरे लिए उसका दुनिया से लड़ जाना
मुझे दुखी देखकर उसका मायूस हो जाना
आज भी याद है मुझे
मेरे जन्मदिन पर मुझसे ज्यादा उसका खुश होना
मेरे लिए हर पल को खास बना देना
मुझे दुनिया की हर खुशी ला कर देना
सारा दिन मेरे साथ परछाई बनकर चलना
मुझ पर मुसीबत आते ही उसका मेरे सामने खड़े हो जाना
आज भी याद है मुझे
अपना मन मेरे आगे खोल देना
उसका अपने आप को मुझे सौंप देना
एक हमसफर की तरह मुझे हर चीज बताना
मेरी खुशी में उसका खुश हो जाना
अपना भविष्य मेरे साथ देखना
मेरी ख्वाहिशों को अपना सपना बना देना
उसका मुझे अपना सब कुछ मानना
आज भी याद है मुझे
उसका मुझे मुझसे ही प्यार करवाना
मेरे लिए मुझसे ही लड़ जाना
मुझे आगे करने के लिए खुद पीछे हो जाना
मुझे ये एहसास दिलाना कि
जब जिंदगी के सफर में ऐसा एक हमसफर मिल जाए
तो जिंदगी जीने का मजा क्यों ना आए।
By Mansi Gupta
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