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याद
By Vidhi Sharma
आज कुछ देर आंखें बंद करी तो लगा
कि मैं कितने अंधेरे मे आ गई ,
जो रोशनी हुआ करती थी किसी की
यादों की वो न जाने कहा गई ,
कुछ देर सोचने के बाद आई कुछ यादें
और मुझे रुला गई ,
आगे का सोचना था
पर पुरानी यादों मे खो गई ,
ऐसा लगता है जैसे सोई नहीं सदियों से मैं
और अब उनके इंतजार में एक रात और गई,
सोचा था कहेंगे उनसे एक दिन सब कुछ
पर ये बात भी दिल में रह गई ,
वो तो बढ़ गए है समय के साथ आगे
मैं वही उस ही मोड़ पर खड़ी रह गई,
सबको लगता है कि कितनी खुश है
कुछ इस तरह में सारी बातें सह गई ,
पर दिल में है एक आस आगे जाने की
क्योंकि जिंदगी मेरे कानों में बहुत कुछ कह गई ।
By Vidhi Sharma