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मां
By Praveen Kumar Das
उसके जाने का दुःख
न जाने क्यों मुझमें आज भी है,
अनंत प्रेम तो बस, मुझे मेरी मां से है।
जिसपे सवार इस दुनिया में आया
मोह मुझे उस नाव से है,
अनंत प्रेम तो बस, मुझे मेरी मां से है।
ममता से पाला मुझको
उसके आंसू टपके मेरे घाव से है,
अनंत प्रेम तो बस, मुझे मेरी मां से है।
जिसका बेटा कहते मुझको
यही पहचान पूरे गांव में है,
अनंत प्रेम तो बस, मुझे मेरी मां से है।
उसके जाने का दुःख
न जाने क्यों मुझमें आज भी है,
अनंतप्रेमतोबस, मुझेमेरीमांसेहै।
By Praveen Kumar Das