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जंग

By Sarika Vishal Dabhade


इस जंग की तेज धार में, क्या जुड़ा रह जाएगा ...

जख्म भर जाएँगे लेकिन, कुछ रिसता रह जाएगा ।।


किस तरह भूलेगा कोई , जंग की ये कटुता ...

आग भले ही बुझ जाएगी , पर धुआं रह जाएगा ...

इस जंग की तेज धार में, क्या जुड़ा रह जाएगा ...

जख्म भर जाएँगे लेकिन, कुछ रिसता रह जाएगा ।।


सब अगर मुँह फेर कर चलते रहे उम्र भर ...

दोस्तों के दरमियाँ भी इक फासला सा रह जाएगा ।।





दुश्मनी पर मिट्टी डाल, कर लो दो बातें ,

वरना ये गोली बारूद , मन में बिछा रह जाएगा ....

इस जंग की तेज धार में, क्या जुड़ा रह जाएगा ....

जख्म भर जाएँगे लेकिन, कुछ रिसता रह जाएगा ।।


जब तक जिंदा रहे , जिंदा रहे अरमान भी ....

मिल गया सब कुछ तो , क्या एहसास रह जाएगा ....


रुकी न यह घुड़दौड़ तो, क्या बचा रह जाएगा ...,

आँखे तरसेंगी हरियाली को, बस सूखा रह जाएगा ....

इस जंग की तेज धार में, क्या जुड़ा रह जाएगा ....

जख्म भर जाएँगे लेकिन, कुछ रिसता रह जाएगा ।।


By Sarika Vishal Dabhade




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