- hashtagkalakar
गीत
By Surendra Kumar Sharma
तुम मुझको आवाज़ न देना
जीवन अब तक समझ न आया |
कितने नाच नचाती माया |
अपने दर्द कहाँ तक बाँटू ~
थकी-थकी सी है यह काया |
अपना तो है बस ये कहना |
तुम मुझको आवाज़ न देना ||
मन ने की अब तक मनमानी |
राहें कितनी हैं अनजानी |
ढूँढ रहा हूँ जाने किसको ~
नहीं किसी का कोई सानी |
चलते रहना है मुझको तो-
तुम मुझको आवाज़ न देना
रंग बदलते लोग यहाँ हैं |
आपस के वे संग कहाँ हैं |
चेहरे उतर रहे छिलकों से~
कभी यहाँ हैं कभी वहाँ हैं |
नहीं किसी से लेना-देना |
तुम मुझको आवाज़ न देना ||
By Surendra Kumar Sharma