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कला
By Praveen Kumar Das
कलम से बदल देते है कल को,
कविता से जो पवित्रता लाते है,
भाग्य उनका है कागज़ स्याही,
मिलाकर उनको वह नया युग रचाते है ।
कोई आकार देते है माटी को,
कोई मन मोहक चित्र बनाते है,
कोई सुना देते है मधुर गीत,
ऐसे वह अपना मित्र बनाते है ।
कोई गढ़ देते है घर को ईट से,
कोई लकड़ी से घर सजाते है,
कोई बनाए पीटकर बर्तन,
जिस पर अन्न हम पकाते है ।
कला से जन्मा सारा जीवन,
कला ही कल का है रास्ता,
कला से जुड़कर लोगों ने,
जीवित रखी है स्वयं की आस्था,
सत्य तो यह है,
प्रकृति है कला की जननी,
हर वस्तु कला का प्रमाण है,
संपूर्ण जीवन है कला हमारी,
उसमेंबसतेहमारेप्राणहै।
By Praveen Kumar Das