By Dr. Neha Singh
लिखनें बैठी हुँ कुछ आज ,
ऐ ! कलम तुम देना मेरा साथ ;
है कर रहा इंतज़ार कोई !
एक नयी कविता सुनने को ।
है तुझमें “ ताक़त” बड़ी सभी जानते
पर मित्र “कोई -कोई” ही बनाते
लिखनें बैठी हुँ कुछ आज ,
ऐ ! कलम तुम देना मेरा साथ ।।
📝
शब्द लिखों , जो ऐसे हों ,
मिले प्रेरणा भागवत् सी हो !
शब्दों को सुनकर सुकून मिले
पढ़ने वाले को नयी आशा जागे ।
समाज़ में संशोधन हो ,
विचारों में संशोधन हो ,
कर चमत्कार ऐसा कोई ।
लिखनें बैठी हुँ कुछ आज ,
ऐ ! कलम तुम देना मेरा साथ ;
है कर रहा इन्तज़ार कोई !
✍️
कभी तुम लिखना प्रेम को ,
कभी तुम मिटाना क्रोध ; अहंकार को ;
कभी तुम बदलना संकुचित मांसिकता को ।
क्योंकि धार तुम में तलवार से भी अधिक है ,
तो तुम बदलना ; बनाना समाज़ को ।
लिखो एक बड़ा तुम संदेश,
जो भेज सकूँ मैं मेरे यारों कों
लिखनें बैठी हुँ , कुछ आज ,
ऐ ! कलम तुम देना मेरा। साथ ;
है कर रहा इंतज़ार। कोई ।
By Dr. Neha Singh
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