- hashtagkalakar
कलम
By Jyoti Singh
में कलम हूं,
बस लिखना ही जानती हूं
यह किस्से,
यह कहानियां,
जो सदियों से चले आ रहे हैं
इस सदी में चलो !
मैं एक बार फिर से दोहराती हूं
मैं कलम हूं,
बस लिखना ही जानती हूं
उस कॉपी के पन्नों से,
अख़बारों तक का सफ़र
तय किया है मैंने,
इस झूठ से भरी दुनिया में,
सच बोले जाने का डर
महसूस किया है मैंने,
हां ! लिखते-लिखते,
मैं अक्सर कांप जाती हूं
पर क्या करूं?
मैं कलम हूं,
बस लिखना ही जानती हूं
जो बात तेरी,
हलक तक रह जाए
जो लफ्ज़ तेरे,
ज़ुबान पर ना आएं
और जो सच,
तू सर-ए-आम ना कह पाए
वह सब,
अपने मन में भरकर,
तू मेरे पास लेते आना
इस कोरे कागज़ पर अभी,
कुछ और स्याह भरना चाहती हूं
मैं कलम हूं,
बस लिखना ही जानती हूं ||
By Jyoti Singh