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औरत
By Deeksha Chugh Bagla
औरत तेरी क्या है कहानी
लिखूं मैं इस कलम की जुबानी
संघर्ष करती सदियों से तू
क्या आज भी हुई तू इतनी सयानी ?
खड़ी हो सके मर्दों में
उसी अकड़ से जैसे बाकी
या तू जान सके अंदर की गाथा
देखकर तुझको जो इन में है आनी।
जरा सोच कदम बढ़ा
जो रास्तों में है अपना सा
क्या सोच कर खड़ा ?
इस व्यथा का जवाब
शायद तेरी सोच से बुरा।
बीज बवंडर खड़ी हो सके तो
जाना उस राह
उन पापियों के पांव पकड़कर
ना भरना तुम आह ।
खुद पर भरोसा रख कर
बस तू चलती जा
अपनी बराबरी का हक
करना तुम अदा ।
देखेंगे वह लोग हैरान होंगे
इस बावली सी लड़की के भी पर होंगे !
कोई काट न पाए इसे बस तू उड़ती जा
धीरे-धीरे होली होली बस तू कदम बढ़ा
बस तू कदम बढ़ा ।
By Deeksha Chugh Bagla