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हसीन

By Paras Minhas


हसिन चेहरों का बाज़ार सज़ा है,

प्यारी बातें सरेआम बिकी हैं॥


एतबार उधार पड़ा है,

क़समें वादों के ढेर लगें हैं॥





सराफ़त को धूल लगी है,

फ़रेब का मोल लगा है॥




By Paras Minhas




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