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सितम
By Seema Kaushik "Mukt"
वक़्त के खूबसूरत 'सितम 'देखिये
हम ही ना रहे 'हम' देखिये
चारों तरफ बिखरी थीं खुशियाँ मगर
हम थे खुद में मगन रात दिन देखिये
बार बार खुशियों ने दस्तक दी दिल पर
ना किया हमने खुद पर करम देखिये
प्यार यूँ सबसे किया हमने ऐसे कि हम
भूले खुद को ही हम 'बेरहम' देखिये
उम्र का हर पड़ाव खूबसूरत तो है
दिल में शिद्दत से जीने की चाहत भी है
पर कोई हमारा बने ना बने
दिल की ख़्वाहिश हुई है ख़तम देखिये
पेड़ों से झड़ते हुए फूल यूँ
धरती पे मोती से बिखरे हुए
देखूँ कैसे इन्हें ? फूलों की बेकद्री या
है धरती पे इनका करम देखिये
वक़्त के खूबसूरत सितम देखिये
हम ही ना रहे 'हम' देखिये
By Seema Kaushik "Mukt"