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सावन
By Praveen Kumar Das
निकल के देखो अपने आंगन में
यह धरा धन्य है इस सावन में,
माटी की यह सौंधी खुशबू
अनुभूति स्वर्ग की मिल जाए मन में,
बरसते पुष्प करने को स्वागत
बरसती ये बरसात है,
बरसती बूंदे, लहरती हवाएं
देखो हमारे साथ है,
योग तपस्वी योगी, हर प्राणी
बार बार है मुख से बोले,
जय हर शंभू शिव शंकर
बम बम भोले बम बम भोले
बहती नदियां कल-कल कल-कल
यह ऋतु अद्भुत पावन है,
शिखर से बहते झरने सुंदर
यह वह शिव का सावन है l
भीग रहे है वृक्ष अति सुंदर, भीग रहे है मोर मनोहर
भीगनातुमभीएकबारजरूर, यहहैप्रकृतिकीधरोहर l
By Praveen Kumar Das