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सफ़र

By Jeevansh Balachandran


अंजान सी राहों के अंजाने सफर पे निकल चुका हू

ना होश है ना खबर

बस जीने की वजह ढूंढ़ रहा हूं

हां! खाया हूं चोट बहुत सी गलियों में

अब बस बहता चला हू किस्मत की तेज़ नदियों


सहमा- सहमा सा जी रहा हूँ

हर घूंट में ज़हर पी रहा हूं।

ख्वाहिशों की कमी हैं आँसुओं की नहीं

कहना तो बहुत है पर सुनने को कोई नहीं हैं ।


दर-दर की ठोकरें खा रहा हूँ

अंधेरे के बीच वक्त बिता रहा हूं।

हाल मेरा कैसा हैं मैं ख़ुद ना जान पाऊं

मैं रो लूँ या अपनी ख़ामोशी में समा जाऊं





हां खोए खोया सा रहता हूं क्योंकि एक आसरे की खोज में हूं

ख़ुद के अल्फाज़ नहीं सुन पा रहा ना जाने किस बेबसी में हूं

जान शरीर छोड़ना चाहती है पर सोच समाज की बंदिशों में हैं

कहने को चीज़े काफी है फिर भी खामोशी में हूं


अल्फाज़ मेरे आजकल बड़े शांत हैं

मानो मेरे यह सारे लफ्ज़ बेजान हैं

खुशियों की होड़ में खुद से मात खा रहा हूं

भीड़ में होकर भी खुद को अकेला पा रहा हूं


देखता आ रहा हूं आज के ज़माने के हालातों को

बस दुआ यही हैं की दुनिया मैं हर कोई सलामत हों

आजकल इंसान जानवरों से कम तो नहीं

मैं क्या ही कहूं इंसान तो शायद मैं भी नहीं


नई जगहों पर अपनों की तलाश में था

चेहरे पे मुस्कान थी पर दिल टूटा सा था

सफर अब बड़ा ही सूना सा हैं

थकान तो काफ़ी हैं पर शिखर भी छूना हैं


सब कुछ जान कर भी सच्चाई से मुझे इनकार था

उन्हीं सारी गलतियों को दोहराने के लिए तैयार था

क्योंकि दिल को तो अब इस दर्द की आदत सी लग गईं हैं

मानों दर्द में मुसकुराने की वजह सी मिल गई हैं


अंजान लोगों को अपना सा बना लिया

जिनपर भरोसे था उन्हीं से धोका खा लिया

सारे फैसले मेरे आज गलत साबित होने को हैं

सारे अपने आज साजिश रचाने को हैं


मुझे मौत का इंतज़ार तो नहीं हैं

मगर आ जाए तो अफसोस भी नहीं हैं

हां माना की किस्मत से हारा हूं खुद से नहीं

मगर अब जीने के लिए ज़्यादा कुछ खास नहीं


फिर भी उम्मीद की रोशनी की ओर बढ़ते जाऊंगा

किस्मत में लिखा हो तो और धोखे भी खाऊंगा

देखूँ ज़रा यह रास्ता मुझे कितनी दूर लेकर जाएगा

ना जाने कितने और लोगों के असली चेहरे दिखलाएगा

क्या आखिर में मुझे सुकून भरी वो आखिरी नींद दिलवाएगा

क्या मौत से पहले मेरा यह बिखरा मन एक बार फिर से मुस्कुराएगा ?

या अपने गलत फैसलों के बोझ तले यह मन खुद को दबा पाएगा?

जो भी हो पर यह सफर मेरे साथ ही खत्म हो जाएगा।


By Jeevansh Balachandran





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