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सपने

Updated: Jun 12

By Mansi Gupta



बचपन में जो सोने की वजह थे

बड़े होकर वही जीने की वजह बन जाए

तो वो है सपने


जो हर इंसान देखता हो

चाहे वो अमीर हो या गरीब

बडा हो या छोटा

या हो कोई मासूम सा बच्चा

जिसको देखने की कोई सीमा ना हो

जो जात पात औकात ना देता हो

जो कही भी कभी भी देखा जा सके

जिसे देखना हर इंसान का हक हो





जो कभी खट्टे तो कभी मीठे हो

कुछ डरावने तो कुछ बहुत खूबसूरत हो

जो कभी किसी की जिंदगी जीने का मकसद बन जाए

तो कभी अधूरे रह जाए

जो कभी अपने लिए

तो कभी अपनों के लिए देखे जाए

जिनकी वजह से कभी हम अपनों से तो

कभी हमारे अपने हम से दूर हो जाए


जीने देखाना तो आसान हो

पर उन्हें हकीकत बनाना एक मुश्किल काम हो

जो इस हकीकत से कोसों दूर हो

जो हमारी सोच से बुने गए हो

जो हकीकत का होता बिल्कुल विपरीत हो

पर फिर भी उसे जीने की चाहत हमारे दिलों में सजीव हो

तो वो है सपने


जिंदगी का हिस्सा और हमारे जीने का एक हसीन सा किस्सा है

येसपने


By Mansi Gupta




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