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शब्द
By Sanket S. Tripathi
कभी ऐसा हुआ है
के कोई एक शब्द, बहुत पुराना,
दिखाई दे जाए , या सुनाई दे जाए।
किसी यार का नाम ,
कोई जगह , कोई पल , कुछ भी !
और अचानक दिल धक् कर जाए ,
रोज़ सी, और रोज़ाना सी ज़िन्दगी ,
एक पल के लिए ही ,
तुम्हे शुन्य कर दे !
और थोड़े ही पल बाद ,
तुम्हे होश आ जाए।
याद आए तुम्हे के उस एक शब्द ने, तुम्हे
जो यादें याद दिलाए थे , बीत गए !
बीत गए वो पल , वो मौके ,
जिनसे उस एक शब्द को माइने मिले थे।
वो लम्हे भी बीत गए , जिससे
उस एक शब्द ने ,
एक पल में,
एक पल के लिए ही सही ,
ज़िंदा कर दिया था !
वो एक शब्द , तुम्हारे दिल के छत्ते से
यादों की कई बूंदें शहद टपका देता है।
तुम मुस्कुराते हो, भाई मैं से।
और समेटने लगते हो उन् शहद की बूंदों को,
ताकी वहाँ चीटियाँ ना लग जाए !
और उस एक शब्द को बीता हुआ कल मानकर
भूलने में लग जाते हो।
पर शब्द , भुलाए कहा भूलते है !
By Sanket S. Tripathi