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वक्त
By Akshar Tekchandani
वक्त ने, वक्त पे, वक्त से
ये सीख दी है,
गलतियां तो हुई हैं,
सज़ा भी ठीक दी है ||
दे सकता था कल, कल भी था दे सकता,
सज़ा,
दे सकता था कल, कल भी था दे सकता;
पर वक्त ने, वक्त की तकाज़ा देख
आज, अभी, सटीक दी है ।
वक्त ने......ठीक दी है ||
उड़ रहा था मानस, अहं की पतंग पर,
सही क्षण पे डोरी, ऊपर से नीचे घसीट ली है
वक्त ने......ठीक दी है ||
हो कितना कोई धनवान,
सर्वाधिक तो वक्त बलवान;
इच्छा, मोह, सभी को पीछे,
छोड़ दर्ज ये जीत की है |
वक्त ने......ठीक दी है ||
अहं ने गिरकर शोर नहीं,
शांत शर्मिंदा चीख़ दी है,
वक्त ने अपना बड़प्पन दिखाकर,
कुछ और वक्त की भीख दी है |
वक्त ने, वक्त पे, वक्त से
ये सीख दी है,
गलतियां जो हुई हैं;
सज़ा भी ठीक दी है ||
By Akshar Tekchandani