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वक्त
By Priyanka Mohanty
वक्त कम था, बातें बहुत सारे
कुछ अल्फाज बनकर होठों से निकले,
तो कुछ ने खुद को आंसुओं में कैद कर लिया,
जब आंसुओं ने खुद की न मानी,
और बाहर आने की सोची, तो दिल रुक सा गया ।
पर आज तो दिल भी टूटा सा लगा था,
दर्द था, तकलीफ सी थी।
वक्त भी अजीब है,
जब सामने वाले को थामना चाहते हैं,
तो वो उसे अपने साथ दूर ही ले चलता है।
ऐ वक्त, तुझसे एक गुजारिश है,
कभी तो मेरी सुन लिया कर,
कोई और ना सही, तू तो गवाह है हमारी मोहब्बत का,
कभी तो साथ दे दिया कर ।
By Priyanka Mohanty