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महेश
By Praveen Kumar Das
कलयुग के काल में, वे शिवलिंग भेष है
उन को सोचूं शेष मैं, पर वे अशेष है
पापियों के पाप का नाश जो वो करते है
पूजते है हम जिनको वे वह महेश है l
सर्प की माला गले में, सिर पर सजता चंद्रमा
बहती जहां से मां गंगा, उनके वो केश है
आराधना करते है सभी, देव हो या हो दानव
देवों के देव महादेव, वे ऐसे विशेष है l
निवासी कैलाश के वो, उनका दयालु भाव है
साथ जिनके मां दुर्गा, और पुत्र गणेश है
अघोरियों के पूज्य वो, वे तपस्वी श्रेष्ठ है
प्रलय का प्रारंभ वे, त्रिलोकी नरेश है l
नंदी जिनकी है सवारी, प्रेतों वाली सेना है
भुस्थल है शीतल, हिमालय शैलेश है
श्रृष्टि का प्रारंभ जहां से यह भी उनमें एक है
ब्रह्मा विष्णु और महेश यह वह तापेश है l
By Praveen Kumar Das